Saturday, January 30, 2010

अब किसकी बारी....!

मराठी मानुष के नाम की राजनीति करने वाले और मास्टर सचिन को धमकी देकर अपनी छिछालेदर करा चुके शिवसेना प्रमुख  बाल ठाकरे एक बार फिर अपनी आदत से बाज नहीं   आये| लोकतंत्र में विचारो के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है लेकिन  .....पाकिस्तानी क्रिकेटरों को अपनी टीम में शामिल करने की सिर्फ मंशा ज़ाहिर करने पर शाहरुख खान को धमकी के साथ यह नसीहत भी मिल गयी की अगर वो पाक खिलाडियों को टीम में लेंगे तो अच्छा यही होगा की इस्लामाबाद में जाकर खेले|उल्लेखनीय है की शिव सेना अपनी सोच से इतेफाक न रखने वाले सभी लोगो पर हमला करते है और उनके ख़िलाफ़ पर हिंसा का रास्ता अपनाने से भी बाज    नही आते चाहे वह बात क़ुर्बान फिल्म के पोस्टर का हो  
जिसमे करीना कपूर के पीठ न ढके होने पर शिवसेना के कार्यकर्ताओ ने विरोध किया था.....
या फिर मराठी से पहले हिन्दुस्तानी होने पर सचिन को मिली धमकी... तब तो हद ही गयी जब शिव सेना ने एक चैनल पर हमला सिर्फ इसीलिए बोल दिया क्यूंकि वो इनके इन हरकतों का विरोध कर रहे थे ..साम,दाम ,दंड, भेद के पुराने सिद्धांत में विश्वास रखने वाले बाल ठाकरे को यह नहीं पता की गुंडागर्दी के बल पर राजनीति नहीं की जा सकती और इस तरह की हरकते उनके संकीर्ण विचारधरा की परिचायक है|अगर वो अपनी यह आक्रामकता देश की सुरक्षा ,एकता एवं अखंडता को बनाये रखने के लिए करते तो आज हमें उन पर नाज़ होता|
यह जरुरी नहीं है की जो हमें पसंद न हो उसे अपनी पसंद बनाने के लिए हम हिंसात्मक हो जाये क्योकि हिंसा और हमला ही इसका आखिरी इलाज़ नहीं हैअपनी नापसंद जाहिर करने के और भी तरीके ही सकते है|हाल ही में मैंने एक लेख में पढ़ा था की शिव सेना और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना(मनसेके घोषणा पत्र में ऐसी बातो को भी समाहित किया गया है जो कार्यकर्ताओ को नफ़रत,हिंसा और वैमनस्य फ़ैलाने के लिए उकसाती है |असलियत में ये दोनों पार्टिया कूड़ेदान में डालने लायक है लेकिन इसमे ज़्यादा संभावना इस बात की है की एक दिन ये घृणा वाली अपनी विचारधारा की ही शिकार होकर झटके से सिकुड़ेगी और दृश्य से गायब हो जाएगी|सबसे बड़ी बिडम्बना तो यह है की इतनी आपराधिक एवं आतंकवादी सरीखे गतिविधिया करने के बाबजूद वहां की सरकार हाथ पे हाथ धरे बैठी है दोषियों को पकड़ने के बजाय शायद इससे अपना मनोरंजन करने वाली सरकार उत्सुकता से इंतजार कर रही है की देखते है अब किसकी बारी है...!

यह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण बात है की जिस देश में महात्मा गाँधी जैसे महापुरुष पैदा हुए जिन्होंने अहिंसा के बल हमें आज़ादी दिलाई उसी जगह बाल ठाकरे एवं राज ठाकरे जैसे जहरीले नाग भी पैदा हुए जो राजनीती के नाम पर हर समय दंगा ,मारपीट एवं हमले की फ़िराक में किसी को भी डसने के लिए मुहं फैलाये खड़े रहते है ||

1 comment:

UDAN KHATOLA said...

kya bat hai rekha ji aap ne dil ki baat keh di.pr kehne se zyada karne ki zarurat hai.aur iske liye hm sb ko mil kar kuch karna hoga.qki bharat kisi ek jaati, dharm, ya bhasha ko manne wala desh nahi hai.is liye hm sb kko sath mil kar kuch karna hoga,aur is gandi soch ko badalna hoga