Tuesday, December 25, 2018

Zero Movie Review



स्टारकास्ट: शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, कैटरीना कैफ 
डायरेक्टर: आनंद एल. रॉय
रेटिंग: 2.5 स्टार


जब शाहरुख खान जैसा सुपरस्टार बौने के किरदार में नज़र आने के लिए तैयार हो जाए तो उस फिल्म में हर किसी की दिलचस्पी बढ़ जाती है. ऐसी ही फिल्म है 'ज़ीरो'. जिसकी रिलीज का बेसब्री से इंतजार था. कहानी भी बहुत दिलचस्प है. इस फिल्म का मुख्य किरदार बउवा सिंह मेरठ, दिल्ली और मुंबई से होते हुए अमेरिका तक पहुंच जाता है. चार फीट 6 इंच का बउवा सिंह ऐसा दिलफेंक आशिक है कि लोग प्यार में चांद लाने की बात करते हैं लेकिन वो खुद चांद पर पहुंच जाता है. बॉलीवुड फिल्मों से हटकर 'ज़ीरो' की कहानी के साथ एक्सपेरिमेंट किया गया है. इस फिल्म के एक गाने में सलमान खान भी हैं. श्रीदेवी, जूही चावला, आलिया भट्ट सहित दर्जन भर सितारे भी नज़र आए हैं. इतना सब कुछ होने के बाद क्या ये फिल्म देखने लायक बन पाई है? क्या शाहरुख की ये फिल्म उम्मीदों पर खरी उतर पाई है? सालों से  फिल्म के इंतजार में बैठे शाहरुख इससे धमाकेदार कमबैक कर पाएंगे? आइए जानते हैं -

कहानी
मेरठ के रहने वाले 38 साल के बउवा सिंह की हाइट कम है लेकिन कॉन्फिडेंस उसमें कूट-कूटकर भरा हुआ है. वो खुद को किसी से कम नहीं आंकता. शादी के लिए लड़की ढ़ूढ रहे बउवा सिंह की मुलाकात आफिया (अनुष्का शर्मा) से होती है जो नासा की साइंटिस्ट है. यहां बउवा सिंह इंप्रेस करने के लिए हर एक हुनर को आजमाता है. बात शादी तक पहुंच जाती है लेकिन बउवा सिंह तो बॉलीवुड स्टार बबिता सिंह (कैटरीना कैफ) का फैन है. बउवा शादी से भाग जाता है और मौका मिलते ही बबिता के घर तक एंट्री मार लेता है. लेकिन वहां बात नहीं बनती. फिर अपने प्यार को पाने और बचाने के लिए वो चांद तक पहुंच जाता है. बउवा सिंह के दोस्त गुड्डू हमेशा उसके साथ होता है और ये किरदार मोहम्मद ज़ीशान अयूब ने निभाया है. बउवा ये सब क्यों और कैसे होता है इसके लिए फिल्म देखिए.

 एक्टिंग
शाहरुख खान को तो आप सालों से रोमांस करते देखते आए हैं. इसमें भी वो बौने जरुर हो गए हैं लेकिन करते वो रोमांस ही हैं. ये सब उनके कैरेक्टर में जमता भी है. बउवा सिंह जबरदस्त डांस कर सकता है, डायलॉग्स उसकी ज़ुबान पर रटे रहते हैं जिसे वो लड़कियों को इंप्रेस करने के लिए इस्तेमाल करता है. स्क्रीन पर बउवा का किरदार शाहरुख जबरदस्त तरीके से निभाया है.


कैटरीना कैफ सुपरस्टार बबिता की भूमिका में जमी हैं. वो डांस अच्छा करती हैं और इस फिल्म में उन्होंने एक्टिंग भी अच्छी की है. उनका किरदार इसमें दिखाता है कि पर्दे पर अपनी मौजूदगी से दर्शकों को इंटरटेन करने वाले कलाकार असल ज़िंदगी में कितने खोखले होते हैं. और कई ऐसे हालतों से गुजर रहे होते हैं जिनके बारे में दूसरों को अंदाजा भी नहीं होता.

अनुष्का शर्मा ने इस फिल्म में जो भूमिका निभाई है उसे Cerebral palsy होता है. ये ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें कोई भी इंसान ठीक से बोल नहीं पाता और चल भी नहीं पाता. ये भूमिका बहुत कठिन है लेकिन अनुष्का ने बेहतर ढंग से निभाई है.

इसके अलावा तिग्माशु धुलिया, ज़ीशान अयूब जैसे सभी सितारों ने अच्छी एक्टिंग की है.

डायरेक्शन
आनंद एल रॉय का नाम जुड़ते ही फिल्म से उम्मीद जुड़ जाती है. इस फिल्म के साथ भी ऐसा ही हुआ है. हिमांश कोहली की स्टोरी और आनंद एल रॉय का डायरेक्शन ये दोनों जब साथ मिलते हैं तो 'तनु वेड्स मनु' सीरिज और 'रांझणा' जैसी फिल्में बनती है. इन फिल्मों में कहानी के साथ-साथ कुछ नयापन होता है. लेकिन ये जोड़ी अपना कमाल नहीं दिखा पाई है. सारे एक्टर्स की बेहतरीन एक्टिंग के बावजूद कहानी ऐसी बुनी गई है कि वो बोझिल लगने लगती है.
फर्स्ट हाफ है शानदार
'तनु वेड्स मनु' सीरिज और 'रांझणा' जैसी अच्छी फिल्मों देने वाले हिमांश कोहली ने इसकी कहानी लिखी है. स्क्रीन प्ले भी उन्हीं का है. फिल्म का फर्स्ट पार्ट बहुत ही इंटरटेनिंग और जबरदस्त है. इसके डायलॉग्स अच्छे हैं, जिस तरीके से कहानी को प्रेजेंट किया गया है उसमें ह्यूमर है और देखने में मजा आता है. 

कहां हुई है चूक
फिल्म में सभी किरदारों ने बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है लेकिन फिर भी फिल्म देखने लायक नहीं बन पाई है. इसकी वजह है इसकी कमजोर कहानी. इंटरवल से पहले फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि शाहरुख खान इस फिल्म से शानदार वापसी कर रहे हैं. लेकिन सेकेंड हाफ में जैसे ही फिल्म मुंबई से होते हुए अमेरिका पहुंचती है उसके बाद तो फिल्म में इतना कुछ होता है कि इंटररेस्ट ही खत्म हो जाता है. कहानी बिखरती हुई चली जाती है.


बउवा सिंह का अमेरिका पहुंचना, नासा के ऑफिस में चल रहा सीरियल जैसा ड्रामा और फिर चांद तक जाना... इसके अलावा भी कई ऐसी चीजें दिखाई गई हैं जो बहुत ही ज्यादा नाटकीय लगता है.

शाहरुख खान की पिछली फिल्म 'हैरी मेट सेजल फ्लॉप' हो गई थी. इम्तियाज अली के डायरेक्शन के बावजूद ये फिल्म देखने लोग नहीं पहुंचे. उससे पहले 'रईस' में भी वो कुछ खास कमाल नहीं कर पाए. अच्छे डायरेक्टर्स और दमदार एक्टर्स होने के बावजूद आखिर शाहरुख की फिल्मों में कहां चूक हो रही है इस पर उन्हें सोचने की जरुरत है.

म्यूजिक 
इस फिल्म का म्यूजिक काफी अच्छा है. इसके गाने पहले ही बहुत पॉपुलर हो चुके हैं. अजय-अतुल ने इस फिल्म का साउंड ट्रैक कंपोज  किया है. 'मेरे नाम तु' सहित कुल चार गाने हैं जिसे इरशाद कामिल और कुमार ने लिखे हैं.


क्यों देखें
'डियर ज़िंदगी' से लेकर 'ज़ीरो' तक शाहरुख अपनी फिल्मों के जरिए लगातार एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं. एक सुपरस्टार के लिए रिस्क लेना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है. आखिर शाहरुख खान बौने के किरदार में कैसे दिखे हैं? ये देखने के लिए आप सिनेमाहॉल का रुख कर सकते हैं. लेकिन अगर फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें लेकर जाएंगे तो आपको निराशा होगी.