

या फिर मराठी से पहले हिन्दुस्तानी होने पर सचिन को मिली धमकी... तब तो हद ही गयी जब शिव सेना ने एक चैनल पर हमला सिर्फ इसीलिए बोल दिया क्यूंकि वो इनके इन हरकतों का विरोध कर रहे थे ..साम,दाम ,दंड, भेद के पुराने सिद्धांत में विश्वास रखने वाले बाल ठाकरे को यह नहीं पता की गुंडागर्दी के बल पर राजनीति नहीं की जा सकती और इस तरह की हरकते उनके संकीर्ण विचारधरा की परिचायक है|अगर वो अपनी यह आक्रामकता देश की सुरक्षा ,एकता एवं अखंडता को बनाये रखने के लिए करते तो आज हमें उन पर नाज़ होता|
यह जरुरी नहीं है की जो हमें पसंद न हो उसे अपनी पसंद बनाने के लिए हम हिंसात्मक हो जाये क्योकि हिंसा और हमला ही इसका आखिरी इलाज़ नहीं हैअपनी नापसंद जाहिर करने के और भी तरीके ही सकते है|हाल ही में मैंने एक लेख में पढ़ा था की शिव सेना और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना(मनसेके घोषणा पत्र में ऐसी बातो को भी समाहित किया गया है जो कार्यकर्ताओ को नफ़रत,हिंसा और वैमनस्य फ़ैलाने के लिए उकसाती है |असलियत में ये दोनों पार्टिया कूड़ेदान में डालने लायक है लेकिन इसमे ज़्यादा संभावना इस बात की है की एक दिन ये घृणा वाली अपनी विचारधारा की ही शिकार होकर झटके से सिकुड़ेगी और दृश्य से गायब हो जाएगी|सबसे बड़ी बिडम्बना तो यह है की इतनी आपराधिक एवं आतंकवादी सरीखे गतिविधिया करने के बाबजूद वहां की सरकार हाथ पे हाथ धरे बैठी है दोषियों को पकड़ने के बजाय शायद इससे अपना मनोरंजन करने वाली सरकार उत्सुकता से इंतजार कर रही है की देखते है अब किसकी बारी है...!
यह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण बात है की जिस देश में महात्मा गाँधी जैसे महापुरुष पैदा हुए जिन्होंने अहिंसा के बल हमें आज़ादी दिलाई उसी जगह बाल ठाकरे एवं राज ठाकरे जैसे जहरीले नाग भी पैदा हुए जो राजनीती के नाम पर हर समय दंगा ,मारपीट एवं हमले की फ़िराक में किसी को भी डसने के लिए मुहं फैलाये खड़े रहते है ||