Wednesday, January 29, 2014

काम ना आया स्टार पावर: 'मोदी फैक्टर' से नहीं इस वजह से सलमान की नहीं हुई 'जय हो'!

बॉलीवुड सपुरस्टार सलमान खान की फिल्म 'जय हो' की बॉक्स ऑफिर पर कुछ अच्छी ओपनिंग नहीं मिली. पिछले साल उनकी कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई थी तो उनके फैंस को यह उम्मीद थी कि सलमान इस बार थोड़ा अलग मसाला और इंटरटेनमेंट पैकेज लोगों को दिखाने वाले हैं. रिलीज होने से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे फिल्म आम आदमी से जुड़ी हुई है तो हिट होगी. क्योंकि जब आम आदमी केजरीवाल हिट हैं तो सलमान क्यों नहीं?
लेकिन पिछली फिल्मों की तुलना में इस बार सलमान खान का सुपरस्टार पॉवर काम नहीं आया. अगर किसी और अभिनेता की फिल्म के साथ ऐसा होता तो यही कहा जाता कि फिल्म की स्क्रिप्ट ढ़ीली थी. स्टोरी लाइन बकवास थी, एक्टिंग अच्छी नहीं की, म्यूजिक कुछ खास नहीं था या फिर जरूरत से ज्यादा लंबी फिल्म थी आदि आदि... फिर यह बात यहीं खत्म हो जाती. तो फिर सलमान खान के साथ ऐसा क्यों नहीं हुआ? लेकिन यहां तो कुछ और ही मामला है. यहां नरेंद्र मोदी फैक्टर को भुनाया जा रहा है.
फिल्म समीक्षक कोमल नाहटा का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के एक हिस्से ने सलमान की फिल्म जय हो का बहिष्कार कर दिया क्योंकि मोदी को लेकर सलमान का बयान उन्हें नापसंद था. इसी वजह से फिल्म पहले दिन अच्छी कमाई नहीं कर पाई. सुनकर बड़ा ही बेतुका लगा कि एक फिल्म समीक्षक ऐसा कैसे कह सकता है? आकड़े यह भी तो साबित कर सकते हैं कि उनकी फिल्म में वह दम नहीं कि लोगों को थियेटर तक खींचकर लाए. जिसका काम ही है हमारा मनोरंजन करना उसकी फिल्म को उनके फैंस सिर्फ इसलिए देखने नहीं गए क्योंकि उन्होंने मोदी की प्रंशसा की थी. ये बात कुछ हजम नहीं हुई. खैर...
अगर इस बात में सच्चाई है तो इसका मतलब तो यह है कि वे चुनिंदा लोग जो सलमान का विरोध कर रहे हैं अपनी खुद की राय रखते ही नहीं. वह दूसरों की राय को ही अपनी राय बना लेते हैं. सलमान खान ने कहा था, 'जब नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिल गई है तो वह गुजरात दंगों के लिए माफी क्यों मांगे?' सलमान खान ने उसी बात को रिपीट किया था जो कोर्ट ने कहा, मीडिया ने छापा. क्या इस देश के लोगों को न्यायिक प्रणाली पर भरोसा नहीं है? या फिर सलमान खान अब एक्टिंग छोड़कर समाजसेवा शुरू करने वाले है जो वह लोग जो चाहते हैं वही बोलें.
फैंस क्या यह भूल गए हैं कि यहां पर हर किसी को अपनी बात कहने का हक है. लोकतंत्र है.. कहां लिखा है कि सेलिब्रिटी अपनी राय लोगों के सामने नहीं रख सकता. सलमान खान फिल्म को प्रमोट करने गुजरात गए, नरेंद्र मोदी से मिले, पतंगे उड़ाई, मीडिया से रूबरू हुए. हालांकि इस दौरान उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि मोदी को वोट दीजिए उन्हें प्रधानमंत्री बनाइए. हां इतना जरूर कहा था कि मोदी को मेरी जरूरत नहीं वो खुद ही पॉपुलर हैं. कई मुस्लिम संगठनों ने तो हाय तौबा मचा दिया. किसी का कहना था कि सलमान ने मुस्लिम समुदाय के भावनाओं को आहत किया है, अब उनको बॉयकॉट करो, उनकी फिल्म मत देखो.

सलमान खान के वे फैंस जिन्होंने मोदी से मुलाकात की वजह से उनका बॉयकाट किया उनसे मुझे  सिर्फ इतना ही कहना है कि सलमान खान की लाइफस्टाइल को फॉलो करें उनकी सोच को नहीं. उनके अभिनय की तारीफ करें ना कि उनके विचारों की आलोचना... फैन होने का मतलब यह नहीं है कि आप आंख बंद करके किसी को फॉलो करें. सलमान खान इंटरटेनर हैं और उन्हें इसी निगाह से देखा जाना चाहिए.
मैं भी सलमान खान की प्रशंसक हूं. मुझे पसंद है उनकी कुछ फिल्में, उनका अभिनय. मैंने 'जय हो' नहीं देखी. लेकिन कारण सिर्फ एक है कि इस फिल्म ने मुझे इतना आकर्षित नहीं किया कि मैं देखूं. एक आम इंसान की तरह वह अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं पर जरूरी नहीं कि उनकी हर बात से मैं सहमत होऊं. ऐसा भी नहीं है कि उनकी बात मुझे पसंद ना आए तो मैं उनकी फिल्मे देखाना बंद कर दूं. ऐसा पहली बार नहीं है इससे पहले भी कई सेलिब्रिटी मोदी से मिल चुके हैं. अमिताभ गुजरात के ब्रांड एंबेसडर है इसका मतलब यह है कि एंटी मोदी लोग अमिताभ की फिल्मे देखना बंद कर देंगे.
इससे क्या फर्क पड़ता है कि सलमान खान किसे प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. इस बारे में तो हमें अपनी राय बनानी चाहिए. यहां कोई नरेंद्र मोदी को पसंद करता है तो कोई राहलु गांधी को ..कुछ लोगों किसी और को भी पीएम बनते देखना पसंद करते हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या अपनी राय इस बात से बनाते है कि वो जिन्हें फॉलो करते है वह किसका भक्त है. अगर ऐसी बात है तो फिर तो हम खुद नहीं किसी और की सोच को बढ़ावा दे रहे हैं.
फिल्म समीक्षा पढ़ी जाय तो कहीं ना कहीं यह बात सामने आती है कि सलमान खान लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए. सलमान लोगों को वो पैकेज देने में नाकामयाब रहे जो उनसे उम्मीद की जा रही थी. फैंस को यह भी उम्मीद भी थी कुछ कमाल कर देंगे सलमान खान इस बार जो कि नहीं हो पाया. हालांकि ऐसा भी नहीं है कि उनकी फिल्म फ्लॉप हो गई.



यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम एक कलाकार को सिर्फ इसलिए टारगेट कर रहे हैं कि वह किसी राजनेता से मिलने गया. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. हमारा संविधान सबको बराबरी का हक देता है. हमें कलाकारों को जाति धर्म मजहब से परे होकर देखना चाहिए ना कि उन्हें इन बातों को लेकर टारगेटर करना चाहिए.