Friday, September 12, 2014

मूवी रिव्यू: अगर बॉलीवुड की मसाला फिल्मों से बोर हो गए हैं तो जरूर देखें 'फाइंडिंग फैनी'

रेटिंग:   ***1/2   (साढ़े तीन स्टार)

अगर आप बॉलीवुड की मसाला फिल्मों से कुछ अलग हटकर देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए है. निर्देशक होमी अदजानिया ने इस फिल्म को बनाकर यह प्रूफ कर दिया है कि वह एक बेहतरीन निर्देशक हैं. यह फिल्म शुरूआत से लेकर खत्म होने तक अपने लक्ष्य से नहीं भटकती है. अदजानिया की पिछली फिल्म ‘कॉकटेल’ में उन्होंने दर्शकों को जो सिरदर्द दिया था उससे राहत देते हुए लोगों को एक शानदार फिल्म दी है.

हां, इतना जरूर है की फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो है लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म जब रफ्तार पकड़ती है कि आप कुछ पल के लिए अपनी दुनिया से बाहर निकल फिल्म में डूब जाएँगे.

फिल्म में नसीरूद्दीन शाह, डिंपल कपाड़िया और पंकज कपूर की तिकड़ी ने कमाल कर दिया है. दीपिका पादुकोण और अर्जुन कपूर ने भी अपने हिस्से का अभिनय अच्छा किया है. हालांकि इस फिल्म में दीपिका को करने के लिए अलग कुछ भी नहीं था. इससे पहले भी वह कॉकटेल में ऐसा ही अभिनय कर चुकी हैं.

कहानी:
'फाइंडिंग फैनी' की कहानी गोवा के गांव 'पोकोलिम' शुरू होती है. यहां पर लोग बेवजह जी रहे होते हैं. उनकी जिंदगी जीने का उनके पास कोई मकसद नहीं है. फिल्म में पांच ऐसे ही लोगों की कहानी दिखाई गई है जिन्हें एक रोड ट्रीप की वजह से जिंदगी जीने का मकसद मिल जाता है.

दीपिका पादुकोण इस फिल्म में एक यंग विधवा एंजी का रोल कर ही हैं जिसका पति शादी के दिन ही केक खाकर मर जाता है. उसके बाद एंजी अपनी मदर इन लॉ रोजी (डिंपल कपाड़िया) के साथ रह रही होती हैं. एंजी को दूसरो की हेल्प करना पसंद है. गांव के ही एक दिन एक बूढ़े पोस्टमैन फर्डी (नसीरुद्दीन शाह) को एक चिट्ठी मिलती है. यह चिट्ठी 46 साल पहले उसने स्टेफैनी फर्नांडीस को लिखा था, जिससे वह प्यार करता था. चिट्ठी मिलते ही फर्डी को पता चलता है कि वह इतने साल से इस अफसोस के साथ जी रहा था कि स्टेफैनी ने उसे रिजेक्ट कर दिया था. अब वह अपने प्यार को पाना चाहता है. एंजी ठान लेती हैं कि फर्डी को स्टेफैनी से वह मिलवाएंगी. इसके लिए वह डॉन पित्रैदो (पंकज कपूर) से उसकी गाड़ी मांगती हैं. पित्रैदो एक फ्रेस्टेटिंग आर्टिस्ट है जो पूरी फिल्म में रोजी का एक पेंटिंग की कोशिश करता रहता है. एंजी पेड्रो से गाड़ी लेती हैं फिर इरिटेटिंग मैकेनिक सेवियो (अर्जुन कपूर) ड्राइवर बनकर उनके साथ जाता है. सैवियो–एंजी से प्यार करता है इसलिए इस ट्रिप पर जाने के लिए तैयार हो जाता है.

फर्डी अपने प्यार को ढ़ुढने जाता है. फर्डी को फैनी तो नहीं मिलती लेकिन पूरे ट्रीप के बाद इन्हें एहसास होता है कि जो हमारे आस पास है हम उन्हें छोड़कर दुनिया में जीने की वजह ढ़ूढ़ रहे हैं.

जब भी बात रोड ट्रिप पर बनी किसी फिल्म की बात आती है तो लगता है कि बोरिंग होगी या फिर स्लो. लेकिन इस फिल्म के साथ ऐसा नहीं है. जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है आप आगे जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. यह रोड ट्रिप बहुत ही दिलचस्प है. यह कॉमेडी फिल्म नहीं है लेकिन पंकज कपूर के कुछ डॉयलॉग और सीन्स ऐसे हैं जिनपर आप खुद को हंसने से नहीं रोक  पाएंगे.

अभिनय:
आपको लिए फिल्म देखने की एक वजह यह भी हो सकती है कि फिल्म के पांचो किरदारों ने शानदार अभिनय किया है. लेकिन फिल्म की जान हैं फर्डी या नसीरूद्दीन शाह जिन्होंने अपने किरदार को जीवंत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उन्होंने गजब के एक्सप्रेशन दिए हैं. चाहें वह इमोशनल सीन हो,  फैनी से दूर होने की वजह से दुखी हों या फिर फैनी के मिलने की बात पर उनके चेहरे की लालिमा.. अपने हर एक सीन में नसीरूद्दीन शाह आपको इंप्रेस कर जाएंगे.
इस फिल्म में रनवीर सिंह कैमियो रोल में हैं लेकिन अगर उनके अभिनय की बात ना करना बेमानी होगी. एक ही सीन में दिखे रनवीर सिंह ने अपनी छाप छोड़ दी है.

फिल्म में रोजी की एक कैट का भी जिक्र है. हालांकि ट्रिप के दौरान ही उसकी मौत हो जाती है. हम यह कह सकते हैं कि फिल्म में इसकी जरूरत नहीं थी, लेकिन यही कुछ ऐसी बातें हैं जो फिल्म को वास्तविक फील देती हैं.


तो अगर आप भी चालू-मसाला फिल्मों से बोर हो गए हैं और पिछले कुछ दिनों से एक अच्छी फिल्म देखने के इंतजार में हैं तो यह फिल्म जरूर देखें. इंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा टाइप फिल्मों से हटकर इस फिल्म से आपको राहत जरूर मिलेगी.

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