Saturday, January 04, 2014

हाय तौबा मचाने वालों- घर और गाड़ी से ऊपर की सोचो...

जैसे ही यह खबर आई कि केजरीवाल दस कमरों वाला डुप्ले घर ले रहे हैं कुछ लोगों में खलबली मच गई. लोगों का कहना यह था कि चुनाव से पहले तो केजरीवाल ने कहा था कि वह घर नहीं लेंगे, उनके मंत्री सरकारी गाड़ी नहीं लेंगे. अब जब लोगों ने उनके सादगी को देखकर उन्हें जनमत दे दी वह सरकारी घर और गाड़ी लेने जा रहे हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि लोगों को मंत्रियों की दिनचर्या उनके घर, उनकी गाड़ी वगैरह में इतनी दिलचस्पी क्यों है...अरे जनमत दिया है बदलाव के लिए तो पहले वह तो होने दो... हाय तौबा करने की क्या जरूरत.

बदलाव के लिए जरूरत होती है धैर्य की सब कुछ अचानक ही नहीं हो जाता . आज कांग्रेस और बीजेपी दोनों के पास जब बोलने के लिए कुछ नहीं बचा तो इन छोटी-छोटी बातों को लेकर ही टुट रहे हैं.

मुझे नहीं लगता कि अगर केजरीवाल 10 या फिर 15 कमरों वाले घर में रहे से कुछ ज्यादा फर्क पड़ने वाला है. देखना ही है तो थोड़ा इंतजार किजिए और काम देखिए. केजरीवाल को भी सिर्फ कुछ लोगों की आलोचनाओं पर ध्यान ना देते हुए अपने काम पर ध्यान लगाना चाहिए. कहते हैं ना विपक्षी होते ही इसलिए है कि वह आप पर बगुले की तरह निगाहें गड़ा कर बैठे रहें और मौका मिलते ही निगलने की कोशिश करें. यह तो उनका काम ही है जैसा कि हमने पहले दिन दिल्ली विधानसभा में भी सुना बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन को. वह किस तरह की बचकानी बाते बोल रहे थे जिसे सुनकर हसी आ रही थी कि इन्हें हो क्या गया है. खैर..,

जब शपथ ग्रहण के लिए मेट्रो से अऱविंद केजरीवाल गए तो कई नेताओं ने यह भी कहा कि यह सिर्फ दिखावा है. कुछ का कहना था कि इससे आम जनता को परेशानी हो रही है. अब जब मंत्री सरकारी गाड़ी ले रहे है तो वही लोग हाय तौबा मचा रहे हैं. अगर ये सारे नेता पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करने लगे तो वे अपना और जनता दोनों का समय बर्बाद करेंगे.  समझदारी इसी में है कि उन्हें थोड़ा समय दिया जाए और अपने ढ़ंग से काम की आाजादी भी.

दिल्ली की जनता को भी इन बातों पर ध्यान ना देतें हुए सोचना चाहिए कि कम से कम पहले से कुछ तो बदलाव आ रहा है.  लोग अपनी शिकायतें और परेशानियों को लेकर खुद मुख्यमंत्री के घर तक पहुंच तो पा रहे हैं.  एक मुख्यमंत्री होने के नाते अरविंद केजरीवाल के पास सरकारी गाड़ी, सुरक्षा और घर तीनों चीजें ही होनी चाहिए. यह एक मुख्यमंत्री की जरूरत भी है और सरकार की जिम्मेदारी भी कि वह सीएम की सुरक्षा को एवही ना ले.


जनता और नेताओं को घर, गाड़ी से ऊपर उठकर सोचना चाहिए. इस तरह हाय तौबा मचाने से सरकार का समय भी बर्बाद हो रहा है और लोगों का भी . जितने समय में अब अफसर केजरीवाल के लिए छोटा घर बनाने और सर्च करने में लगेगा उस समय में वे लोगों की बेहतरी के लिए कुछ काम कर लेते.