Friday, October 15, 2010

अनमोल मोती

भोजपुरी फिल्मों के शेक्सपियर कहे जानेवाले मोती ने गुमनामी में दम तोड़ दिया । मीडिया में कम ही लोग इस नाम से परिचित हैं ।देवरिया की तहसील बरहज के गांव बरेजी में जन्में और पले बढें मोती बीए ने काम तो हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू सभी भाषाओं में किया, लेकिन भोजपुरी में विशेष पहचान मिली। 16 साल की उम्र में उनकी कविता दैनिक  आज में प्रकाशित हुईं जिसके बोल थे-" बिखरा दो ना अनमोल-अरि सखि घूंघट के पट खोल " उन्होने खुद  अंग्रेजी में 'लव एण्ड ब्यूटी' और 'ब्यूटी इन वेल' के अलावा उर्दू में 'रश्के गुहर', 'दर्दे गुहर' जैसी पुस्तकों की रचना करने वाले इस कवि को भोजपुरी की 'बन कोयलिया', 'आइल महुआबारी में बहार सजनी' जैसे गीतों ने शोहरत दिलायी।

उनकी भोजपुरी साहित्यिक कविता 'महुआबारी' की लाइने आज भी पुर्वांचल के जन-जन की जुबान पर है, जिसमें कवि ने महुआ के गुण की प्रशंसा करते हुए उसे किशमिश बताया है-

"असो आइल महुआबारी में
बहार सजनी,
महुआ बैल प्रेम से खावें।
गाङी खींचे जोत बनावें।
इ गरीबन के किशमिश अनार सजनी..।"

निसंदेह मोती नाम के इस दीये ने साहित्य को काफी रोशनी दी। काव्यगत सौन्दर्यं का विलक्षण रुप उनकी कविता में देखा जा सकता है।उन्होंने अपनी पुस्तक मोती के मुक्तक में लिखा है –



"प्यार सोना हवे रुप आगी हवे,
ए री दूनो के अजबे कहानी हवे
प्यार गलेला जेतना जोह आंख से,
आंसू ना ह इ सोना के पानी हवे..।"

मोती ने प्रेम को बहुत नजदीक से परखा ,तभी वह दूसरे मुक्तक में लिखते है-

"तूरि के फेंकि द चाहे मीस., मल..,
तहरे खातिर करेजा डहकते रही,
चाहे आन्ही बही चाहे बिजुली गिरी ,
फूल ह त बगइचा महकबे करी।"



जब उन्होंने बीए करा तब तक वे कवि सम्मेलनों में एक गीतकार के रूप में पहचान बना चुके थे। उन्होंने अपने नाम के आगे बीए लगाना शुरू कर दिया। उस समय आज़ादी की जंग जोरों पर थी। अंग्रेज़ों के खिलाफ़ पूरे देश में माहौल बहुत गर्म था। मोती जी भोजपुरी भाषा में क्रांतिकारी गीत लिख लिख कर लोगों को सुनाया करते थे। उसी दौर का उनका एक गीत था -


"भोजपुरियन के हे भइया का समझेला

खुलि के आवा अखाड़ा लड़ा दिहे सा

तोहरी चरखा पढ़वले में का धईल बा

तोहके सगरी पहाड़ा पढ़ा दिये सा "

मोती बीए ने शुरुआती दिनों में बहुत संघर्ष किया ।उन्होने कई अखबारो के संपादकीय विभाग में भी काम किया।स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत रक्षा कानून के तहत कई बार जेल भी गये।



1944 से 52 के बीच लगभग एक दशक तक बालीबुड में फिल्मों के गीत लिखे ।सुभद्रा (1946),भक्त ध्रुव (1947),साजन (1947) और नदिया के पार (1948),राम विवाह आदि दर्जनों फिल्मों के गीत लिखें।

1984 में उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा भोजपुरी की आजीवन सेवा हेतु राहुल सांकृत्यायन   पुरस्कार ।

1992 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा भोजपुरी रत्न का अलंकरण।


मोती बीए की रचनाएं -

शेक्सपीयर के सानेट का हिन्दी पद्यानुवाद
काव्य रूपक - "कवि-भावना-मानव"
स्फूट रचना संग्रह - "प्रतिबिम्बिनी"
"समिधा" (गीतांजली)
तड़पते हुए गीत-"मृगतृष्णा"
गीतधारा-"कवि और कविता"
भोजपुरी कविता संग्रह -"सेमर के फूल"
मेघदूत- भोजपुरी पद्यानुवाद
राजनीतिक कविता संग्रह: रांची से राजघा

Quotes on Moti BA

"मुझे इस बात का दुख है कि आपको जैसा सम्मान मिलना चाहिए, वैसा नहीं मिला। पर इससे हताश होने की कोई जरूरत नहीं। "कालोह्म निरवधिर्विपुल च पृथ्वी।"
- डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी

आप सरल शैली के मास्टर हैं। इस शैली ने और कुछ भी दिया हो या न, आपको सरल बना दिया है। सरलता बड़ी साधना की देन है। आपको सन्तुष्ट होना चाहिए। -डॉ हरिवंश राय बच्चन

श्री मोती बीए के सेमर के फ़ूल में भोजपुरी क्षेत्र के वरनन एतना सटीक भइल बा जइसे केमरा में फोटो खींचल होखे।- डॉ विजय नारायण सिंह

18 जनवरी 2009 में इस कवि ने अपनी अंतिम सांस ली.


8 comments:

सुभाष नीरव said...

आपने मोती बी ए के विषय में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी अपने ब्लॉग के माध्यम से प्रदान की है। सच, पूछो तो आपके ब्लॉग से ही मैं जान पाया - मोती बी ए के बारे में, इससे पहले मैंने न इनके बारे में पढ़ा, न सुना था।

Dr.Dayaram Aalok said...

मोती बी.ए. के साहित्यिक जीवन को बखूबी उजागर करते आलेख के लिये साधुवाद!

Umra Quaidi said...

क्या आप एक उम्र कैदी का जीवन पढना पसंद करेंगे, यदि हाँ तो नीचे दिए लिंक पर पढ़ सकते है :-
1- http://umraquaidi.blogspot.com/2010/10/blog-post_10.html
2- http://umraquaidi.blogspot.com/2010/10/blog-post.html

Unknown said...

बहुत सुंदर.
दशहरा की हार्दिक बधाई ओर शुभकामनाएँ...

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

धीरेन्द्र सिंह said...

मन पुलकित हुआ। इसी तरह से पूर्वांचल की सोंधी खुश्बू आप परोसती रहें तथा महुआ के किश्मिश रूपी स्वाद से अवगत कराते रहें। प्रभावशाली ।

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Anonymous said...
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