Thursday, February 05, 2015

AIBKnockout का विरोध करने वाले पाखंडी, बताएं पॉर्न कटेंट का क्या करेंगे?


AIBKnockOut को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. कोई इसे भारतीय संस्कृति को बर्बाद करने वाला बता रहा है, तो किसी का कहना है कि भारतीय लोगों में एक मज़ाक को सहने तक क्षमता नहीं है. इन दिनों चल रही इस बहस के बीच AIB(आल इंडिया बकचोद) ने इस वीडियो को यह कहते हुए यूट्यूब से हटा लिया है कि लोग चाहें कुछ भी कहें लेकिन यह सिर्फ मजाक था और कुछ नहीं.



मुंबई की एक संस्था द्वारा AIB की टीम, बॉलीवुड अभिनेता रनवीर सिंह, करन जौहर और अर्जुन कपूर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया है. सरकार ने जांच की बात कही और उसी बीच सेंसरबोर्ड के सदस्य अशोक पंडित के एक कमेंट से इस विवाद को और हवा मिल गई.

अशोक पंडित ने सीधा करन जौहर को निशाने पर लिया. ध्यान देने की बात ये है कि जिस वीडियो को अशोक पंडित 'अश्लील' बता रहे हैं उससे भी ज्यादा 'अश्लीलता' इनके ट्वीट्स में झलकती है. मुझे तो क्या ट्विटर पर एक अच्छे खासे वर्ग को इनका ट्वीट पसंद नहीं आया. तो क्या अब हम अशोक पंडित के ट्विटर अकाउंट को भी बैन करने की मांग करने लगेंगे?


साधारण सी बात है कि अगर मुझे उनकी सोच, उनकी भाषा समझ नहीं आई तो उन्हें फॉलो नहीं करेंगे या उनके ट्वीट्स नहीं पढ़ेंगे. बस यही बात अगर आप AIBKnockOut के मामले में भी लागू कर दें तो इतने हंगामे की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.


वीडियो हटने के बाद भी सोशल मीडिया पर लगातार बहस चल रही है. पूरा बॉलीवुड AIB के साथ है. आलिया भट्ट से लेकर दूसरे एक्टर्स ने भी AIB के समर्थन में अपनी राय बेबाकी से रखी है.


जिस संस्था ने इस वीडियो के खिलाफ मुंबई में शिकायत दर्ज कराई है उसका कहना है कि इसमें काफी गाली गलौज है. यह न सिर्फ भारतीय संस्कृति और महिलाओं की छवि को बर्बाद कर रहा है बल्कि आज के युवाओं को गुमराह भी कर रहा है. अब ऐसे में सवाल ये है कि क्या इंटरनेट पर गुमराह करने के लिए सिर्फ रोस्ट वीडियो की उपलब्धता है? वैसे तो AIB का यह वीडियो सिर्फ एडल्ट्स के लिए था जो कि आप लॉगिन करने के बाद ही देख सकते थे.


आज के दौर में अगर हम इंटरनेट की बात करें तो यहां पर हज़ारों और लाखों की संख्या में पॉर्न साइट्स उपलब्ध हैं जिन्हें आसानी से सर्च करके देखा जा सकता है. आप युवाओं के सर्च करने और इंटरनेट यूज करने पर बैन नहीं लगा सकते हैं. आपने एक वीडियो को तो हटवा दिया लेकिन उन हजारों और लाखों की संख्या में इटंरनेट पर उपलब्ध पॉर्न कंटेंट का क्या करेंगे? जिन्हें अक्सर ही रेप और छेड़खानी जैसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है. क्या आपने उन वेबसाइट्स को बैन कराने के लिए कुछ किया है? कोई शिकायत कोई FIR दर्ज कराई है. नहीं ना, तो फिर इस पर क्यों?


क्या भारत में बैन करने और बहस करने के लिए सिर्फ यही आखिरी चीज बची है? क्या इस वीडियो को हटाने से आपकी भारतीय संस्कृति बर्बाद होने से बच गई? मेरा सवाल ये है कि क्या शोषण करो, छेड़खानी करो और बलात्कार करो भारतीय संस्कृति है. नहीं ना, फिर भी ऐसी घटनाएं रोज सुनने और देखने को मिलती हैं. अगर आपको रोकना ही है तो रेप होने से रोकिए, हत्याएं रोकिए, भूखमरी रोकिए, किसानों को आत्महत्या करने से रोकिए न की अपना कीमती समय इस बेवजह बहस पर खराब करिए.

AIBKnockOut एक वीडियो है जिसमें हंसी-मजाक उसी लेवल का है जो आप भी करते हैं और उतनी ही अश्लील बातें और मैसेज आज के युवाओं के मैसेज बॉक्स में होती हैं. वीडियोज भी आप चुपचाप देख ही लेते हैं तो फिर इस वीडियो पर इतना पाखंड क्यों? क्या आप एक मज़ाक को मज़ाक की तरह नहीं ले सकते हैं? क्या आप हंसना भूल गए हैं? क्या आपने कभी किसी से इस लेवल का मज़ाक नहीं किया? या फिर किसी की खिंचाई नहीं की? अगर आपका जवाब हां है तो पाखंड बंद कीजिए और अगर ना है तो आप वाकई बीमार हैं आपको चेकअप की जरूरत है.

भारत के लिए यह शो अपने तरह का एक नया एक्सपेरिमेंट है. जिसे लोगों ने सराहा भी है और आलोचना भी की है. आलोचना तक तो ठीक है क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. यह दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि जहां भारत दुनिया के बाकी देशों से कदम से कदम मिलाकर चलने की बात कर रहा है उसी देश के लोग मजाक को भी बर्दाश्त करने की मानसिकता नहीं रखते हैं. लोग मज़ाक पर भी अभियान चलाने लगते हैं और उसे बैन करने की मांग करने लगते हैं.


गौरतलब है कॉमेडी रोस्ट की शुरुआत अमेरिका में सबसे पहले हुई थी. पहली ऑफिशियल रोस्ट न्यूयॉर्क के फ्रायर्स क्लब के स्टैंड अप कॉमेडियन Maurice Chevalier के साथ हुई थी. लेकिन भारत के उलट अमेरिका में लोगों ने इस शो को हाथोंहाथ ले लिया था और खूब सराहना की थी. यहां तक की व्हाइट हाउस में होने वाले वार्षिक कॉरेस्पोंडेंट भी कई बार प्रेसीडेंट को ‘रोस्ट’ करते हैं. 2006 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज ड्ब्ल्यू बुश को स्टैंडअप कॉमेडियन स्टेफन कोलबर्ट ने रोस्ट किया था. बुश ने उस मज़ाक को बहुत ही अच्छे तरीके से लिया था ना कि सब पर हंगामा मचाया था.

जिस कॉमेडी रोस्ट पर लोग इतना बवाल मचा रहे हैं वैसा ही शो भारत के लोग सालों से देखते आ रहे हैं. सिर्फ इसका प्रॉडक्शन पहली किसी ने किया है? भारत के लोग इसे कई सालों से टेलिविजन पर देखते आ रहे हैं. यूएस का चैनल कॉमेडी सेंट्रल ने 1998 में 'कॉमेडी चैनल रोस्ट' नाम की एक सीरिज की शुरूआत की थी. अब इस चैनल पर प्रसारित होने वाला यह 'कॉमेडी रोस्ट' भारत सहित कई देशों के लोग देखते हैं. यह चैनल भारत में हर तरह के केबल नेटवर्क पर उपलब्ध है. अगर इससे युवाओं पर बुरा असर पड़ता है तो इस पर बैन की मांग क्यों नहीं की गई है? इस पर विवाद क्यों नहीं हुआ?


अब इसी शो की तर्ज पर AIBKnockOut ने इसे भारत में लॉन्च किया है. तीन घंटे तक शूट होने वाले इस शो को एडिट करके सिर्फ आधे घंटा यू-ट्यूब पर डाला गया था. जिस पर इतना हंगामा हुआ अगर पूरा डाल दिया जाता तो पता नहीं क्या हो जाता. शो को लाइव देखने के लिए चार हजार लोग पहुंचे थे. वे लोग पूरे चार हजार रुपये देकर इस कथित अश्लीलता को देखने और गाली गलौज सुनने गए थे. आखिर जब उन्हें कोई दिक्कत नहीं है तो आपको क्यों हैं ? किसी ने आपको यूट्यूब पर जाकर उस वीडियो को देखने को तो नहीं कहा ? वीडियो हटाए जाने से पहले करीब 70 लाख लोगों ने खुद ही जाकर AIBKnockOut के इस कथित अश्लील वीडियो को देखा.


आप किसी चीज से सहमत या असहमत हो सकते हैं. अपने विचार रख सकते हैं. लेकिन दूसरों को क्या करना है और क्या नहीं करना हैं ? क्या देखना है और क्या नहीं देखना है ? क्या अश्लील है और क्या नहीं हैं ? आखिर ये तय करने वाले आप होते कौन हैं ?


इस पूरे प्रकरण को देख कर लगता है कि देश में संस्कृति के ठेकेदारों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को तिलांजलि दे दी है. हर कोई संस्कृति को अपनी सहूलियत के हिसाब से परिभाषित कर रहा है और अपने विचारों को दूसरे पर थोपने की कोशिश कर रहा है. इन संस्कृति के ठेकेदारों को वॉल्टेयर के विश्व प्रसिद्ध कथन को याद रखने की जरूरत है जिसमें उन्होंने कहा था, ''हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊँ फिर भी विचार प्रकट करने के आपके अधिकारों की रक्षा करने के लिए मैं अपनी जान भी दे सकता हूं"

2 comments:

Unknown said...

नमस्कार!

सर्वप्रथम आपको आपकी मुखर आवाज के लिए बधाई! और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाये,आज आपके ब्लॉग पे आकर अच्छा लगा.
aibknockout का समर्थक आप किस आधार पर है,यह बात मेरी समझ से बाहर है..आपसे कुछ प्रश्न कर रहा हूँ आशा है आप जल्द जवाब देंगे...

१-आपका कहना है कि हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी है..यह शो अभिव्यक्ति का ही एक रूप है..हर कोई आजाद है अपने मन की बात कहने ,रखने,और बहूत हद तक करने के लिए,ठीक है रणबीर सिंह,अर्जुन कपूर अपने घर में.परिवार में,दोस्तों में,अपनी मानसिकता को aib की भाषा में रखें,चाहे उससे भी गिरी भाषा में रखें,किसी को कोई फर्क नही पड़ता,पर किसी भी सार्वजनिक मंच से आप इस तरह की भाषा का प्रयोग नही कर सकते,खासकर तब जब आप एक सेलेब्रेटी हो,और लाखो लोग,युवा आपको फॉलो करते हो! अपने घर में आप जो करे कोई मना करने नही जायेगा.

२-इसका विरोध जिस लहजे में किया गया वो गलत था,लेकिन इसका समर्थन किसी भी सूरत में नही किया जा सकता,चाहे पूरा बालीवुड और हॉलीवुड इनके समर्थन में उतर आये.

३-जहाँ तक बात है पोर्न कंटेंट के देखने वालो की उम्र पाबन्दी की.यह कितना प्रभावशाली है आप हम सभी को पता है..तो इसमें कोई संदेह नही की लाखो बच्चो ने aib को देखा होगा,और उसका उनके ऊपर क्या असर हुआ होगा यह चिंतनीय विषय है क्यूंकि इसके पात्र उनके नायक है,जैसा वे बनने और दिखने का सोचते है.

३-पोर्न कंटेंट की वेबसाइट, और aib की तुलना किस मायने में आप कर रहे है?आपके कहने का तात्पर्य ये है कि जिस प्रकार अश्लील सामग्री ने युवाओं.के मोबाइल,लैपटॉप,बातचीत में आज जगह बनायीं है,उसकी तुलना में aib क्या है?ये तो अब आम जिंदगी का हिस्सा है? वाह! कमाल कि सोच है आपकी...एक तरफ आप रेप,इत्यादि की घटनाओ पर रोक लगाने की बात करते है?किस आधार पे?आपको पता है? 90% ऐसी घटनाओ के पीछे ये अश्लील सामग्री,कुसंग है.आज का युवा बिना गाली दिए 4 लाईन नही बोलता,इसके मूल में कौन है?आप इसकी समर्थक है?
विषय अब पुराना हो चूका है,फिर भी आपकी नजरिये ने बोलने पर विवश कर दिया.उम्मीद है की आप इस पर गहराई से चिंतन करेंगी!


Unknown said...

प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद!