Friday, July 18, 2014

रेप, गैंगरेप, खून बहाएँगे फिर उसमें नहाएंगे...


यौन हिंसा के सबसे घृणित रूप सामूहिक बलात्कार ने एक बार फिर से मेरी अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है. एक बार फिर हवस के नाग से मासूम को डंसा है. जितनी ज्यादा कथित रूप से हम आधुनिकता और प्रगतिशील हो रहे हैं उतनी ही पशुता के नाखून बढ़ते जा रहे हैं. इतिहास और सदी की बर्बरता आधुनिक जीवन में एक नए इरादे और नए हमले से लौट आई है. 


16 दिसंबर में दिल्ली की निर्भया के साथ जो हुआ उसे देश अभी भूला नहीं है.  और  ना ही अपराधियों ने उससे कोई सबक लिया है. हमने सड़कों पर नारे जरूर लगाए, आवाज उठाई, मोमबत्तिया जलाईं और पुलिस के डंडे भी खाए लेकिन उसका नतीज क्या मिला.. लड़कियों के पेड़ पर लटकते हुए शव, स्कूल में गैंगरेप के बाद एक लड़की की हत्या. गिनाने चलें तो लिखने के लिए जगह भी कम पड़ जाए.


बदायूं की घटना को अभी कुछ ही दिन हुए हैं जब दो नाबालिग लड़कियों को गैंगरेप के बाद मर्डर कर उनका शव पेड़ से लटका दिया गया था. यह लोगों में दहशत फैलाने के लिए किया गया था. लेकिन दरिदंगी का जो खेल यूपी के राजधानी में हुआ है उसे देख तो इंसानियत भी शरमा जाए. पहले गैंगरेप,  फिर डंडे से पीट-पीट कर हत्या, उसके बाद लाश को नंगा करके खुलेआम फेंक दिया गया. ये सब कहीं और नहीं बल्कि लखनऊ के मोहनलाल गंज इलाके के एक स्कूल में हुआ. घटनास्थल पर खून इस कदर फैला हुआ है कि देखकर हैवानियत भी कांप जाए. इसकी जो तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो रही है उसे देखने के बाद इस हैवानियत को बयां करने के लिए शब्द भी कम पड़ जाय.


लेकिन इतना सब के बाद ऐसा सन्नाटा पसरा है जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं. हैरत यह भी है कि दिल्ली के निर्भया कांड के लिए देश में हर जगह सड़कों पर उतरे लोग चुप हैं.. कहीं विरोध के स्वर नहीं दिख रहे.. अगर लोग आज चुप रहे तो आगे इसका खामियाजा उन्हें अपनी बेटी, बहुओं को बलि चढ़ाकर देनी होगी.  


अब तक रेपिस्ट खुलेआम घूम रहे हैं. मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर मलेशिया विमान हादसे में मरने वाले लोगों के दुख प्रकट कर रहे है लेकिन राजधानी में ही हुए इस हादसे के बारे में अभी तक मुंह नहीं खोल पाए. जो रेपिस्ट आज खुलेआम लोगों के बीच घूम रहे हैं उन्हें किसी का डर नहीं. अगर अब भी पुलिस प्रशासन चुप बैठी रही तो ऐसे अपराधियों के अंदर कभी कानून का डर पैदा नहीं होगा. 


एक हकीकत यह भी है कि अगर ऐसा हो रहा है तो उन्हें शह यूपी सरकार ने दी है. सरकार ने कई मामलों में यह दिखा दिया है कि पुलिस प्रशासन सिर्फ सरकार के तलवे चाटने के लिए है अपराधियों और मुजरिमों को पकड़ने के लिए नहीं. लानत है ऐसे प्रशासन पर. 


इतना जरूर है कि वे रेपिस्ट अब अपनी बड़े ठाट से मूंछे ताने आप लोगों के बीच यही सोचकर चल रहे होंगे कि अरे लड़कियों कि क्या औकात जो हमें 'ना' बोल सकें.. हम जो कहें वो 'ना' करें.. अगर 'ना' करें तो हम करेंगे रेप, गैंगरेप, खून बहाएँगे फिर उसमें नहाएंगे...!! 


लेकिन मेरा सवाल सिर्फ इतना है कि आखिर कब तक एक एक करके देश की निर्भया अपनी जान गंवाती रहेंगी और सरकार तमाशबीन बनकर देखती रहेगी? हम जो भी चाहें, यह घटनाएं तब तक नहीं रुकेंगी जब तक हम हर ऐसी घटना पर नहीं उबल पड़ते.